Add To collaction

लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला

भाग 28 
रिम्पी एक अनुभवी औरत थी । उसने दुनिया के सारे रंग देख रखे थे । वह पिंकी को पैसा और इज्जत दोनों कमाने का रास्ता बता रही थी । पिंकी ने उससे पूछ लिया "आप कैसे राजनीति में आई दीदी" ? 
"बहुत लंबी कहानी है पिंकी , पर तुझे शॉर्ट में समझा देती हूं । हमारी एक किराने की छोटी सी दुकान थी । घर का खर्चा उसी से चल जाता था जैसे तैसे करके । मेरे पति ने एक आदमी से पांच लाख रुपए उधार ले लिये । वे पैसे दुकान में लगा दिये , खूब सारा सामान खरीद लिया और दुकान पर एक नौकर रख लिया । वह नौकर दुकान में से चोरी करने लगा । पांच लाख रुपए का दो रुपया सैकड़ा की दर से दस हजार रुपए महीना ब्याज होता था जिसे हर महीने देना होता था । दस हजार रुपए ब्याज में , दस हजार रुपए नौकर को और दस हजार रुपए दुकान का किराया था । इस तरह तीस हजार रुपए महीना तो हर हाल में जाना ही था । धन्धा इतना नहीं था कि इतनी भरपाई हो जाये अत: कर्जा चढता गया । 

एक दिन मेरे पति ने खुद को दीवालिया घोषित कर दिया । पांच लाख का कर्जा बढते बढते दस लाख का हो गया था । कर्जा देने वाले ने एक दिन आत्महत्या कर ली । उसने स्यूसाइड नोट में पति को जिम्मेदार ठहरा दिया । पुलिस केस हो गया । मेरे पति को गिरफ्तार कर लिया । तब मैं खूब रोई , गिड़गिड़ाई मगर पुलिस पर उसका कोई असर नहीं हुआ । तब मैं अपने क्षेत्रीय विधायक अशोक राम से मिली । अशोक राम ने कहा "मैं तुम्हारे पति को छुड़वा दूंगा । पुलिस केस भी खत्म करा दूंगा । तुम्हारे पति को नई दुकान भी खुलवा दूंगा । पर तुम्हें भी मेरे लिए कुछ करना होगा" । 

उसकी बातें सुनकर मैं सोच में पड़ गई और सोचने लगी "मैं क्या कर सकती हूं ? मेरे पास न तो पैसा है और ना ही कुछ और" ? मैंने यह बात विधायक जी को बताई तो वह बोले "औरत के पास चाहे पैसा ना हो , कोई संपत्ति ना हो फिर भी उसके पास देने के लिए बहुत कुछ होता है" कहकर वे कुटिल हंसी हंसे । 

मैं पागल उनका इशारा फिर भी नहीं समझी । तब उन्होंने कहा "भगवान ने हर औरत को एक खूबसूरत जिस्म दिया है । यह जिस्म ही उसकी सबसे बड़ी दौलत है । पुरुषों की सबसे बड़ी कमजोरी औरत का जिस्म ही होती है । कितनी ही औरतों को भोगने के बावजूद पुरुष की भूख मिटती नहीं है अपितु और भी बढ जाती है । तुम अच्छी तरह सोच विचार कर लो । जल्दबाजी में कोई निर्णय मत करो । जब तुम्हारा समर्पण का पक्का इरादा हो जाये तब मेरे पास आ जाना । मुझे तुम्हारा जिस्म मिल जायेगा और तुम्हें तुम्हारा पति । बोलो सौदा मंजूर है" ? उसकी आंखें मेरे जिस्म को तोल रही थीं । 

मुझे इससे सस्ता सौदा और कोई नहीं लगा । इतने सस्ते में यदि पुलिस केस से पीछा छूट रहा हो और पति जेल से बाहर आ रहा हो तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है ? एक खूबसूरत लड़की जो मिस इंडिया या मिस यूनिवर्स बनती है , फिल्मों में काम पाने के लिए किसी नामी गिरामी निर्माता निर्देशक के साथ सोने को तैयार हो जाती है तो मैं तो कुछ भी नहीं हूं । दरअसल हर आदमी को ऊपर जाने के लिए, ऊंचाई चढने के लिए किसी न किसी सीढी की आवश्यकता होती है । किसी के पास नाम होता है । उस नाम के सहारे ही उसे ऊंचाई हासिल हो जाती है । जैसे "गांधी" नाम इस देश में एक खानदान विशेष के लिए ऊंचाई का पर्याय बन गया चाहे यह गांधी सरनेम उधार का या फर्जीवाड़े से हासिल किया हुआ ही क्यों न हो ? पर यह "गांधी" सरनेम उस परिवार के लिए सीढी बन गया । कैसे कैसे "पप्पू" लोग देश पर राज कर रहे हैं , यह बताने की जरूरत नहीं है । 

जिन लोगों के पास धन दौलत है वे इसे सीढी के रूप में काम में ले रहे हैं । पहले टाटा बिड़ला हुआ करते थे और आजकल अडानी, अंबानी यह काम कर रहे हैं । जिनके पास तकनीकी ज्ञान होता है वे लोग उसे सीढी बना लेते हैं । स्त्रियों के पास तो भगवान ने "हुस्न" का वो खजाना दिया है जिससे बड़े बड़े ऋषि मुनि भी डोल जाते हैं । मेनका ने विश्वामित्र जैसे ऋषि की तपस्या भंग कर दी । सत्यवती के सौन्दर्य ने महर्षि पाराशर पर वो जादू किया कि उन्होंने नाव चलाती सत्यवती से ही प्रणय निवेदन कर दिया । सत्यवती ने उसे स्वीकार कर के महर्षि वेदव्यास को जन्म दिया । 

जब चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर जो पश्चिम भारत समेत इरान ईराक पर राज्य कर रहा था, को युद्ध में पराजित कर दिया था तब सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री हेलेना जो तात्कालिक इतिहास की विश्व सुंदरी थी का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया । इस प्रकार हेलेना के सौन्दर्य ने उसके पिता सेल्यूकस को बर्बाद होने से बचा लिया । 

अकबर ने राजपूतों की पुत्रियों को अपनाकर राजपूतों के साथ रिश्ता बना लिया और ये राजपूत मुगल साम्राज्य को बचाने में ही मर खप गये । 

आम्रपाली का नाम तो तुमने सुना ही होगा ? उस समय की वह विश्व सुंदरी थी । वह वैशाली गणराज्य की नागरिक थी । वैशाली एक गणराज्य था यानि कि वहां पर जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों का शासन था न कि राजाओं का । इसके बावजूद आम्रपाली को वैशाली की नगरवधू बनना पड़ा । कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ ? वही एकमात्र कारण कि आम्रपाली इतनी सुन्दर थी कि उसका हुस्न किसी एक व्यक्ति तक सीमित क्यों रहे ? फूल की खुशबू क्या एक व्यक्ति के लिए है ? नदी का जल क्या किसी व्यक्ति के लिए है ? नहीं ना ? तो फिर आम्रपाली का सौन्दर्य किसी एक व्यक्ति का कैसे हो सकता है ? इस विषय पर सभा में बहुत वाद विवाद हुआ और अंत में यही निर्णय हुआ कि सौन्दर्य पर किसी एक का अधिकार नहीं हो सकता है । वह सबके उपयोग उपभोग में आना चाहिए और इस तरह आम्रपाली को वैशाली की नगरवधू बनने के लिए बाध्य होना पड़ा । 

रावण कितना बलवान था मगर वह माता सीता के सौन्दर्य पर इतना आसक्त था कि वह उसका दास बनने को भी आतुर हो गया था । महाभारत की जड़ में कहीं न कहीं द्रोपदी का सौन्दर्य भी है । इस तरह सौन्दर्य अपने आप में बहुत बड़ी संपत्ति है । जिसने इस सौन्दर्य की शक्ति को जाना उसने धरती पर राज्य किया । 

तुमने नूरजहां का नाम तो सुना ही होगा । उसका हुस्न बेमिसाल था । जब जहांगीर ने नूरजहां के हुस्न के बारे में सुना तो वह बेचैन हो गया । ऐसा नहीं है कि जहांगीर के रनिवास में उस समय बेगमों की कोई कमी थी । सैकड़ों बेगमें थी उसकी और सब एक से बढ़कर एक थी । लेकिन वह शहंशाह था इसलिए उसकी सोच थी कि नूरजहां जैसी हसीना सिर्फ उसके पास होनी चाहिए । इसके लिए उसने पहले नूरजहां के शौहर को मरवाया और फिर उसने नूरजहां से शादी कर ली । नूरजहां एक समझदार औरत थी । उसने इस अवसर को भुनाते हुए जहांगीर को अपने हुस्न का गुलाम बना लिया और वह खुद शासन करने लगी । उस समय का शासन "पेटीकोट शासन" के नाम से जाना जाता है इतिहास में क्योंकि जहांगीर तो बस नाम का शहंशाह था वास्तविक सत्ता नूरजहां के ही हाथ में थी । 

तुमने चित्तौड़ की रानी पदमावती का नाम तो सुना ही होगा । उसके सौन्दर्य का वर्णन सुनकर अलाउद्दीन खिलजी की रातों की नींद और दिन का चैन सब खत्म हो गया था । उसे प्राप्त करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने क्या क्या नहीं किया ? साम, दाम, दंड, भेद सब हथियार काम में लिए । हजारों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया । राणा रतनसिंह  का अपहरण कर लिया लेकिन वह रानी पदमावती को पा नहीं सका था । पद्मावती ने दूसरी राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर कर लिया था । 

कुछ औरतें नूरजहां की तरह होती हैं जो आपदा को अवसर बनाकर ऐश्वर्य भोगती हैं और कुछ औरतें पद्मावती की तरह होती हैं जो "चरित्र" नाम की तुच्छ वस्तु के लिए जिंदा जल जाती हैं । पदमावती जैसी औरतें यह मानकर चलती हैं कि जीवन में चरित्र ही सब कुछ है । चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया । ऐसी औरतों को "मूर्ख" कहा जाता है क्योंकि विद्वान लोग औरत के जिस्म को एक सेतु मानते हैं जिस पर होकर कितने ही लोग गुजर जायें लेकिन सेतु का क्या बिगड़ता है ? बस, सोच सोच का फर्क है । आज की नारी चरित्र को न तो ओढ़कर सोती है और न इसे लपेटकर रहती है । इसे आवश्यकतानुसार इस्तेमाल करना जानती है वह । वह जिस्म के बल पर अभिनेत्री बन कर लोगों के दिलों पर राज करती है । अरबों खरबों में खेलती है । सत्ता , ऐश्वर्य सब कुछ हासिल करती हैं" । 

"मैंने बड़ा दिल करके शरीर को सीढी की तरह इस्तेमाल किया और आज यह मुकाम बनाया है । विधायक जी से जब नजीदीकियां बढ़ीं तो जैसे स्वर्ग का द्वार ही खुल गया । आज सब कुछ है मेरे पास । पैसा , प्रतिष्ठा , पति सब कुछ । बस एक चरित्र ही नहीं है । उसका मुझे कोई अफसोस भी नहीं है । ऐसा नहीं है कि मेरे पति को विधायक जी के साथ मेरे संबंधों के बारे में पता नहीं हो, पर उन्होंने भी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए इसे अंगीकार कर लिया है । अब सब कुछ सामान्य सी बात हो गई है । 

तुम सौभाग्यशाली हो जो तुम्हें मुखिया जी के योग्य समझा गया है । मुखिया जी भी बड़े "रसिया" आदमी हैं । उन्हें ऐसी वैसी औरतें पसंद नहीं आती हैं उन्हें तो "रसभरी" औरतें चाहिए । तुमको ईश्वर ने फुरसत से बनाया है । तुम हसीन हो, जवान हो और पूरी "रसभरी" भी हो । तो इस जिस्म को सीढी बनाकर आनंद के सागर में गोते लगाओ । पर एक बात का ध्यान जरूर रखना कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है । यदि जिंदगी के सारे सुख हासिल करने हैं तो फिर चरित्र नाम की तुच्छ वस्तु को भूल जाना । भोग विलास वाली जिन्दगी जीने के लिए चरित्र खोना ही पड़ेगा । यदि यह मंजूर हो तो बात आगे बढ़ेगी नहीं तो चरित्र के साथ साथ अभावों में ही मर जाओगी । अब निर्णय तुम्हें करना है । एक हाथ में खुशियों के खजाने की चाबी है तो दूसरे हाथ में चरित्र रूपी फालतू कबाड़ । अब तुम्हें सोचना है कि जिस्म की चाबी से खुशियों का खजाना खोलना है या चरित्र रूपी कबाड़ से इस जिंदगी को नर्क बनाना है । फैसला तुम्हें करना है पिंकी" । रिम्पी ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा । 

पिंकी को अब सारी बात समझ में आ गई । रिम्पी की ढेर सारी बातों में से उसे एक ही वाक्य पसंद आया "कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है" । वह पाने और खोने की  उधेड़बुन में ही अपने घर आ गई । 

क्रमश : 

श्री हरि 
27.5.2023 

   16
4 Comments

Bahut sundar

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Jun-2023 07:51 AM

🙏🙏🙏

Reply

Mahendra Bhatt

29-Jun-2023 09:06 PM

👌👌

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Jun-2023 07:51 AM

🙏🙏🙏

Reply